मन्त्रः— “ॐ काली कंकाली महाकाली के पुत्र, कंकाल भैरव ! हुकम हाजिर रहे, मेरा भेजा काल करे । मेरा भेजा रक्षा करे । आन बाँधू, बान बाँधू । चलते फिरते के औंसान बाँधू । दसों स्वर बाँधू । नौ नाड़ी बहत्तर कोठा बाँधू । फूल में भेजूँ, फूल में जाए । कोठे जीव पड़े, थर-थर काँपे । हल-हल हलै, गिर-गिर पड़ै । उठ-उठ भगे, बक-बक बकै । मेरा भेजा सवा घड़ी, सवा पहर, सवा दिन सवा माह, सवा बरस को बावला न करे तो माता काली की शैया पर पग धरै । वाचा चुके तो ऊमा सुखे । वाचा छोड़ कुवाच करे तो धोबी की नांद में, चमार के कूड़े में पड़े । मेरा भेजा बावला न करे, तो रूद्र के नेत्र से अग्नि की ज्वाला कढ़ै । सिर की लटा टूट भू में गिरै । माता पार्वती के चीर पर चोट पड़ै । बिना हुक्म नहीं मारता हो । काली के पुत्र, कंकाल भैरव ! फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । सत्य नाम, आदेश गुरु को ॥”
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