मन्त्रः—
“काला भैरों कपली
जटा । हत्थ वराड़ा, कुन्द
वडा । काला भैरों हाजिर
खड़ा । चाम की गुत्थी, लौंग
की विभूत ।
लगे लगाए की करे भस्मा भूत
। काली बिल्ली, लोहे
की पाखर, गुर सिखाए अढ़ाई
अखर । अढ़ाई अखर
गए गुराँ के
पास, गुराँ बुलाई
काली । काली का लगा चक्कर ।
भैरों का
लगा थप्पड़ ।
लगा – लगाया, भेजा-भेजाया,
सब गया सत समुद्र-पार
॥”
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